Tag: Hindi Poems
माँ के पँख नहीं होते Maa ke pankh nahi hote माँ के पंख नहीं होते कुतर देते हॆं उन्हें होते ही पॆदा खुद उसी के बच्चे । माँ के …
साथी चाँद Sathi chand मैंने देखा, मैं जिधर चला, मेरे सँग सँग चल दिया चाँद! घर लौट चुकी थी थकी साँझ; था भारी मन दुर्बल काया, था ऊब …
मैं कोई फ़रिश्ता तो नहीं था Me koi farishta to nahi tha पत्र भी एक समय के बाद शव से नज़र आने लगें तो क्या करें? क्या करें जब …
ज्योति कलश छलके Jyoti chalke ज्योति कलश छलके हुए गुलाबी, लाल सुनहरे रंग दल बादल के ज्योति कलश छलके घर आंगन वन उपवन उपवन करती ज्योति अमृत के …
मैंने कहा – हाँ Mene kaha haa बहुत नशेड़ी होकर भी चाह रहा था समुद्र मॆं पीता रहूँ । पीता रहूँ बैठा गोवा के तट पर । नशे में …
आषाढ़ Ashadh पकी जामुन के रँग की पाग बाँधता आया लो आषाढ़! अधखुली उसकी आँखों में झूमता सुधि मद का संसार, शिथिल-कर सकते नहीं संभाल खुले लम्बे साफे …
पत्नी तो नहीं हैं न हम आपकी Patni to nahi he na hum aapki नहीं लिखा गया तो एक ओर रख दिया कागज बंद कर दिया ढक्कन पेन का …
प्रयाग Prayag १ मैं बन्दी बन्दी मधुप, और यह गुंजित मम स्नेहानुराग, संगम की गोदी में पोषित शोभित तू शतदल प्रयाग! विधि की बाहें गंगा-यमुना तेरे सुवक्ष पर …