Tag: Hindi Poems
तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा Tum ratan deep ki rup shikha तुम दुबली-पतली दीपक की लौ-सी सुन्दर मैं अंधकार मैं दुर्निवार मैं तुम्हें समेटे हूँ सौ-सौ बाहों में, मेरी …
दाँत Dant ख़बर है कि नहीं रहा एक अगला दाँत कवि त्रिलोचन का न हुआ पर न हुआ अफ़सोस मीर का नसीब सामने साक्षात् थे वासुदेव, कि न चल …
माया Maya दिखाती पहले धूप रूप की , दिखाती फ़िर मट मैली काया! दुहरी झलक दिखा कर अपनी मोह – मुक्त कर देती माया! असम्भाव्य भावी की आशा …
अदृश्य होते हुए Adeshya hote hue जानता मैं भी हूं कि लगभग अदृश्य हो रहा हूँ अदृश्य यूँ कौन नहीं हो रहा न वह हवा है, न पानी ही …
हंस माला चल Hans mala chal हंस माला चल, बुलाता है तुझे फिर मानसर शून्य है तेरे लिए मधुमास के नभ की डगर हिम तले जो खो गयी …
आवाज़ आग भी तो हो सकती है Aawaz aag bhi to ho sakti he देखे हैं मैंने तालियों के जंगल और बियाबान भी । बहुत ख़ामोश होते हैं तालियों …
गंगा, बहती हो क्यूँ Ganga bahti ho kyu विस्तार है अपार.. प्रजा दोनो पार.. करे हाहाकार… निशब्द सदा ,ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ?.. नैतिकता नष्ट हुई, मानवता …
हर लिया क्यों शैशव नादान Har liya kyo sheshav nadan हर लिया क्यों शैशव नादान? शुद्ध सलिल सा मेरा जीवन, दुग्ध फेन-सा था अमूल्य मन, तृष्णा का संसार …