Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Nander Sharma “  Tum ratan deep ki rup shikha”,”तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा  Tum ratan deep ki rup shikha   तुम दुबली-पतली दीपक की लौ-सी सुन्दर मैं अंधकार मैं दुर्निवार मैं तुम्हें समेटे हूँ सौ-सौ बाहों में, मेरी …

Hindi Poem of Divik Ramesh “Dant”,”दाँत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दाँत  Dant ख़बर है कि नहीं रहा एक अगला दाँत कवि त्रिलोचन का न हुआ पर न हुआ अफ़सोस मीर का नसीब सामने साक्षात् थे वासुदेव, कि न चल …

Hindi Poem of Nander Sharma “  Maya”,”माया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

माया  Maya   दिखाती  पहले  धूप  रूप  की , दिखाती  फ़िर  मट  मैली  काया! दुहरी  झलक  दिखा  कर  अपनी मोह – मुक्त  कर  देती  माया! असम्भाव्य  भावी  की  आशा …

Hindi Poem of Divik Ramesh “Adeshya hote hue”,”अदृश्य होते हुए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अदृश्य होते हुए  Adeshya hote hue जानता मैं भी हूं कि लगभग अदृश्य हो रहा हूँ अदृश्य यूँ कौन नहीं हो रहा न वह हवा है, न पानी ही …

Hindi Poem of Nander Sharma “  Hans mala chal”,”हंस माला चल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हंस माला चल  Hans mala chal   हंस माला चल, बुलाता है तुझे फिर मानसर  शून्य है तेरे लिए मधुमास के नभ की डगर हिम तले जो खो गयी …

Hindi Poem of Divik Ramesh “Aawaz aag bhi to ho sakti he”,”आवाज़ आग भी तो हो सकती है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आवाज़ आग भी तो हो सकती है  Aawaz aag bhi to ho sakti he देखे हैं मैंने तालियों के जंगल और बियाबान भी । बहुत ख़ामोश होते हैं तालियों …

Hindi Poem of Nander Sharma “  Ganga bahti ho kyu”,”गंगा, बहती हो क्यूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गंगा, बहती हो क्यूँ  Ganga bahti ho kyu   विस्तार है अपार.. प्रजा दोनो पार.. करे हाहाकार… निशब्द सदा ,ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ?.. नैतिकता नष्ट हुई, मानवता …

Hindi Poem of Nander Sharma “  Har liya kyo sheshav nadan”,”हर लिया क्यों शैशव नादान” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हर लिया क्यों शैशव नादान  Har liya kyo sheshav nadan   हर लिया क्यों शैशव नादान? शुद्ध सलिल सा मेरा जीवन, दुग्ध फेन-सा था अमूल्य मन, तृष्णा का संसार …