Tag: Hindi Poems
सम्बन्ध Sambandh सोचता हूँ न होतीं अगर खड़ी ये संबंधों की दीवारें मेरी हिमायत में.. तो झड़ चुके होते तमाम-तमाम संबोधन कभी के ढह ही चुका होता कब का …
यात्री-मन Yatri man छल-छलाई आँखों से जो विवश बाहर छलक आए होंठ ने बढ़कर वही आँसू सुखाए सिहरते चिकने कपोलों पर किस अपरिभाषित व्यथा की टोह लेती उंगलियों …
रूपांतर Rupantar गिरती हुई धारों को तेज़ हवा के झोंके फुहारों में बदल देते हैं, दृश्य से परे देर तक लहराती रहती हैं, धारों को काटती हुई फुहारें …
यादव जी ! Yadav ji मोह तो त्यागना पड़ता है पुरानी से पुरानी पुस्तकों-पत्रिकाओं का भी एक उम्र होने पर! काश पुस्तकें-पत्रिकाएँ भी जायदाद हुई होतीं हुई होतीं जेवरात …
अपराध की इबारत Apradh ki ibarat अपराध यूँ ही नहीं बढ़ता है हर बच्चा बूढ़ों की आँखों में अपराध की इबारत साफ़-साफ़ पढ़ता है। वह इबारत पानी की …
शर्म आती है कि… Sharam aati he ki जितना जाना है तुम्हारे बारे में कि पढ़ा है जितना धर्म-ग्रंथों में वह तो इज़ाजत नहीं देता तुम्हें कि दिखो ऐसे …
कवि वही Kavi vahi कवि वही जो अकथनीय कहे किंतु सारी मुखरता के बीच मौन रहे शब्द गूँथे स्वयं अपने गूथने पर कभी रीझे कभी खीझे कभी बोल …
याद आई पृथ्वी Yaad aai prithvi मैं उठा और उठता चला गया जैसे कि तूफान! जा लगा उस सीने से बेहद करीबी अपने सीने से जो था ही नहीं, …