Tag: Hindi Poems
खिली सरसो Khili sarso खिली सरसों, आँख के उस पार, कितने मील पीले हो गए? अंकुरों में फूट उठता हर्ष, डूब कर उन्माद में प्रतिवर्ष, पूछता है प्रश्न …
सांझ(कविता) Saanjh kavita जिस दिन से संज्ञा आई छा गई उदासी मन में, ऊषा के दृग खुलते ही हो गई सांझ जीवन में। मुँह उतर गया है दिन …
सुना है कभी तुमने रंगों को Suna he kabhi tumne rango ko कभी-कभी उजाले का आभास अंधेरे के इतने क़रीब होता है कि दोनों को अलग-अलग पहचान पाना …
बथुए की पत्ती, मूंगे जैसी बाल Bathuye ki patti, munge jesi bal पौधों में उभरा सीताओं का रूप पछुआ के झोंकों से हिल उठती धूप बैंगनी-सफ़ेद बूटियों की …
घाटी की चिन्ता Ghati ki chinta सरिता जल में पैर डाल कर आँखें मूंदे, शीश झुकाए सोच रही है कब से बादल ओढ़े घाटी। कितने तीखे अनुतापों को …
शमशेर की कविता Shamsher ki kavita छुइए मगर हौले से कि यह कविता शमशेर की है । और यह जो एक-आध पाँखुरी बिखरी सी पड़ी है न? इसे भी …
छायाभास Chayabhas बचपन में काग़ज़ पर स्याही की बूंद डाल कोने को मोड़ कर छापा बनाया जैसा रूप रेखा के इधर बना, वैसा ही ठीक उधर आया। भोर …
स्पर्श गीत Sparsh geet शब्द से मुझको छुओ फिर, देह के ये स्पर्श दाहक हैं। एक झूठी जिंदगी के बोल हैं, उद्धोष हैं चल के, ये असह, ये …