Tag: Hindi Poems
साँझ-15 Saanjh 15 झुक गये शिथिल दृग दोनों, रूँध गई कंठ में वाणी। अधरों का मधुर परस-रस, कर सका न मुखिरत प्राणी।।२११।। कोई न जिसे पढ़ पाया, ऐसी …
नाव का दर्द Naav ka dard मैं नैया मेरी क़िस्मत में लिक्खे हैं दो कूल-किनारे पार उतारूँ मैं सबको मुझको ना कोई पार उतारे जीवन की संगिनी बनी है …
साँझ-14 Saanjh 14 यौवन की आतुरता में , ेजो भूल कभी हो जाती। जीवन भर उसकी सुधि से, दहका करती है छाती।।१९६।। तज कर यथाथर् की कटुता, कैसे …
हम छले गए Hum chale gye हमने-तुमने जब भी चाहा द्वापर-त्रेता सब चले गए! हम छले गए! रथ नहीं रहे ना अश्व रहे ना दीर्घ रहे ना ह्र्स्व रहे …
साँझ-13 Saanjh 13 फिर भी न तुम्हें मैं देखँू, अखिर यह कैसी बातें। जायेंगी बिन बरसे ही, क्या यह रस की बरसातें।।१८१।। वह कौन गगन में प्रतिदन, दामिनी-कवच …
अकेला रह गया Akela rah gya बीते दिसंबर तुम गए लेकर बरस के दिन नए पीछे पुराने साल का जर्जर किला था ढह गया मैं फिर अकेला रह गया …
साँझ-12 Saanjh 12 निमर्म हिम-शैल-शिखर से, जब भी जाकर टकराते। मेरी करूणा के बादल, सब चूर-चूर हो जाते।।१६६।। विक्षुब्ध प्रलय-प्लावन में, आँसू का जलधि विकल हो। पलकों के …
दिन घटेंगे Din ghatenge जनम के सिरजे हुए दुख उम्र बन-बनकर कटेंगे ज़िन्दगी के दिन घटेंगे कुआँ अन्धा बिना पानी घूमती यादें पुरानी प्यास का होना वसन्ती तितलियों से …