Tag: Hindi Poems
साँझ-11 Saanjh 11 खिल उठा मुकुल-दल सुरिमत, छिव अखिल भुवन में छाई। साकार हो गई सहसा, जैसे तरू की तरूणाई।।१५१।। कामिनी-कुंज में खोई, रजनी की सारी माया। तारक …
बहुत दिन के बाद Bahut din ke baad बहुत दिन के बाद देखा है बहुत दिन के बाद आए हो यह तमाशा कहाँ देखा था जो तमाशा तुम दिखाए …
साँझ-10 Saanjh 10 ऊषा के सिमत-गत की, गति से हिल उठीं हिलोरें। किरनों के अनुशासन में, सन गई जलद की कोरें।।१३६।। मेरे प्रसुप्त पौरूष में, तुम प्रकृति बने …
लो वही हुआ Lo vahi hua लो वही हुआ जिसका था ड़र ना रही नदी, ना रही लहर। सूरज की किरन दहाड़ गई गरमी हर देह उघाड़ गई उठ …
साँझ-9 Saanjh 9 नन्हीं-नन्हीं बँूदों से, शीतलता बिखर रही थी। निमर्ल जल से घुल-घुल कर, हिरयाली निखर रही थी।।१२१।। झुक गई दूब की पलकें, आँसू का भार सम्हाले। …
द्वंद्व Dwand रहते हैं अपने घर में उनके घर की कहते हैं मन नद्दी-नालों में कितने परनाले बहते हैं कितना पानी हुआ इकट्ठा बस्ती में आबादी में बहकर आया …
साँझ-8 Saanjh 8 नयनों ने जैसे कोई, उत्सुक उत्सव देखा हो। श्यामल पुतली के ऊपर, बन गई एक रेखा हो।।१०६।। अमृत की प्यासी आँखें, मुख छिव तकती घूमेंगी। …
धूप के नखरे बढ़े Dhup ke nakhre badhe शीत की अंगनाइयों में धूप के नखरे बढ़े बीच घुटनों के धरे सिर पत्तियों के ओढ़ सपने नीम की छाया छितरकर …