Tag: Hindi Poems
साँझ-4 Saanjh 4 उत्सुक नयनों से देखा, सपनों का लिया सहारा। पर मिला नहीं उस छिव का, कोई भी कूल-किनारा।।४६।। कोमल कोमल पंखुरियाँ, लिपटीं थीं भोलेपन से। विह्वल …
प्रश्न यह है Prashan yah he प्रश्न यह है- भरोसा किस पर करें एक नंगी पीठ है सौ चाबुकें बचाने वाले कभी के जा चुके हम डरें भी तो …
साँझ-3 Saanjh 3 किलयों के कर से जैसे, प्याली मरंद की छलकी। मेरे प्राणों में गँूजी, रूनझुन रूनझुन पायल की।।३१।। स्वगंर्ंगा की लहरों में, शशि ने छिप जाना …
भूल गए Bhul gye जाने कैसे हुआ कि प्रिय की पाती पढ़ना भूल गए दायें-बायें की भगदड़ में आगे बढ़ना भूल गए नित फैशन की नये चलन की रोपी …
साँझ-2 Saanjh 2 घन-छाया में सोती हों, ज्यों श्रमित अमा की रातें। वह केश-पाश बेसुध सा, करता समीर से बातें।।१६।। या भूल गये हो निज को, अपनी सीमा …
मछलियाँ Machliya ताल से डरती मछलियाँ जाल से डरती नहीं हैं तडफड़ाती यों- मछेरे लोच पर कुर्बान जाएँ मुटि्ठयों में फिसलतीं उद्दाम बलखाती अदाएँ स्वाद उनका जान लें सब …
साँझ-1 Saanjh 1 जिस दिन से संज्ञा आई छा गयी उदासी मन में ऊषा के दृग खुलते ही हो गयी सांझ जीवन में।।१।। मुँह उतर गया है दिन …
फिर कदम्ब फूले ! Fir kadamb fule फिर कदम्ब फूले गुच्छे-गुच्छे मन में झूले पिया कहाँ? हिया कहाँ? पूछे तुलसी चौरा, बाती बिन दिया कहाँ? हम सब कुछ भूले …