Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Utari sham”,”उतरी शाम” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उतरी शाम  Utari sham झुरमुट में दुपहरिया कुम्हलाई खोतों पर अँधियारी छाई पश्चिम की सुनहरी धुंधराई टीलों पर, तालों पर इक्के दुक्के अपने घर जाने वालों पर धीरे-धीरे उतरी …

Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Uttar nahi hu”,”उत्तर नहीं हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उत्तर नहीं हूँ  Uttar nahi hu उत्तर नहीं हूँ मैं प्रश्न हूँ तुम्हारा ही! नये-नये शब्दों में तुमने जो पूछा है बार-बार पर जिस पर सब के सब केवल …

Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Anjuri bhar dhoop”,”अँजुरी भर धूप” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अँजुरी भर धूप  Anjuri bhar dhoop आँजुरी भर धूप-सा मुझे पी लो! कण-कण मुझे जी लो! जितना हुआ हूँ मैं आज तक किसी का भी – बादल नहाई घाटियों …

Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Kya inka koi arth nahi”,”क्या इनका कोई अर्थ नहीं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

क्या इनका कोई अर्थ नहीं  Kya inka koi arth nahi ये शामें, सब की शामें… जिनमें मैंने घबरा कर तुमको याद किया जिनमें प्यासी सीपी-सा भटका विकल हिया जाने …

Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Din Dhale ki barish”,”दिन ढले की बारिश” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दिन ढले की बारिश  Din Dhale ki barish बारिश दिन ढले की हरियाली-भीगी, बेबस, गुमसुम तुम हो और, और वही बलखाई मुद्रा कोमल शंखवाले गले की वही झुकी-मुँदी पलक …

Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Subhash ki Mrityu par”,”सुभाष की मृत्यु पर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुभाष की मृत्यु पर  Subhash ki Mrityu par दूर देश में किसी विदेशी गगन खंड के नीचे सोये होगे तुम किरनों के तीरों की शैय्या पर मानवता के तरुण …

Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Dheeth chandni”,”ढीठ चांदनी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ढीठ चांदनी  Dheeth chandni आज-कल तमाम रात चांदनी जगाती है मुँह पर दे-दे छींटे अधखुले झरोखे से अन्दर आ जाती है दबे पाँव धोखे से माथा छू निंदिया उचटाती …

Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Prarthana ki kadi”,”प्रार्थना की कड़ी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रार्थना की कड़ी  Prarthana ki kadi प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी बाँध देती है, तुम्हारा मन, हमारा मन, फिर किसी अनजान आशीर्वाद में-डूबन मिलती मुझे राहत बड़ी! प्रात सद्य:स्नात …