Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Dhananjay singh “Bech diye he mithe sapne”,”बेच दिए हैं मीठे सपने” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बेच दिए हैं मीठे सपने  Bech diye he mithe sapne हमने तो अनुभव के हाथ बेच दिए हैं मीठे सपने सूरज के छिपने के बाद हुए बहुत मौलिक अनुवाद …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Jangal ug aaye”,”जंगल उग आए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जंगल उग आए  Jangal ug aaye भाव-विहग उड़ इधर-उधर दुख दाने चुग आए मन पर घनी वनस्पतियों के जंगल उग आए चीते-जैसे घात लगाए कई कुटिलताएँ मुग्ध हिरन की …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Lotna padega fir fir ghar”,”लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर  Lotna padega fir fir ghar घर की देहरी पर छूट गए संवाद याद यों आएँगे यात्राएँ छोड़ बीच में ही लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर यह …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Bahut door dubi padchap”,”बहुत दूर डूबी पदचाप” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहुत दूर डूबी पदचाप  Bahut door dubi padchap गीतों के मधुमय आलाप यादों में जड़े रह गए बहुत दूर डूबी पदचाप चौराहे पड़े रह गए देखभाल लाल-हरी बत्तियाँ तुमने …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Oog aai nagfali”,”उग आई नागफनी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उग आई नागफनी  Oog aai nagfali हमने कलमें गुलाब की रोपी थीं पर गमलों में उग आई नागफनी जीवन ऐसे मोड़ों तक आ पहुँचा आ जहाँ हृदय को सपने …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Kuch Kshnikaye”,”कुछ क्षणिकाएँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कुछ क्षणिकाएँ  Kuch Kshnikaye दायित्व पंखों में बांधकर पहाड़ उड़ने को कह दिया गया। ध्वजारोहण शौर्य शांति और समृध्दि को काले पहिए से बांधकर बाँस पर लटका दिया गया …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Mausam ke kagaj par”,” मौसम के कागज़ पर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मौसम के कागज़ पर  Mausam ke kagaj par मौसम के कागज़ पर आज लिखा था सूरज पर काले मेघ और बारिश ने घेर लिया सुबह-दोपहर-संध्या, सबने यह देखा पर …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Nahi jhukta, jhukta bhi nahi hu”,”नहीं झुकता, झुकाता भी नहीं हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नहीं झुकता, झुकाता भी नहीं हूँ  Nahi jhukta, jhukta bhi nahi hu नहीं झुकता, झुकाता भी नहीं हूँ जो सच है वो, छिपाता भी नहीं हूँ जहाँ सादर नहीं …