Tag: Hindi Poems
आते ही क्यों ? Aate hi kyo स्वीकार किया होता तो हम आते ही क्यों? इस भाँति पराये देश ढूँढने को साधन अधिकार मिला होता तो बिलगाते ही …
मधुमय वासन्ती Madhumay vasanti हिल उठी आम की डाल, कूक से गूँज गई अमराई, फूलों के गाँवों में बाजी मधुपों की शहनाई! शृंगार सज रही प्रकृति, ओढ़ कर …
तुमने केवल बाहर देखा Tumne keval bahar dekha तुमने केवल बाहर देखा, काश हृदय में झाँका होता! तुमने देखा मस्त हिलोंरों भरा सिन्धु का उमडा यौवन, कुमने देखा …
बुज़ुर्ग पेड़ Bujurg pedh कुछ रिश्ता है ज़रूर मेरा इन बुज़ुर्ग पेड़ों से! देख कर ही हरिया जाती हैं आँखें, उमग उठता है मन, वैसे ही जैसे मायके …
योद्धा का विषाद Yodha ka vishad जो व्यर्थ लाद कर घूम रही धर दूँ सारा बोझा उतार! ये गीता और महाभारत सुन लेंगे थोड़ी देर बाद यह महासमर …
मीराँ Meera ओ, राज महल की सूनी सी वैरागिन, ओ अपने मन मोहन की प्रेम-दिवानी, ओ मीरा तेरी विरह रागिनी जागी, तो गूँज उठी युग-युग के उर की …
ओ चाँद जरा धीरे-धीरे O chand jara dhire dhire कोई शरमीली साध न बाकी रह जाये! किरणों का जाल न फेंको अभी समय है, जो स्वप्न खिल रहे, …
वन्दना Vandana अंध तम का एक कण मै, तुम अपरिमित ज्योतिशाली, दीप के मैं धूम्र का कण, तुम दिवा के अंशुमाली! मैं अकिंचन रेणुकण हूँ, तुम अचल हिमचल …