Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Jesa dikhta he“ , “जैसा दिखता है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जैसा दिखता है  Jesa dikhta he   वैसा नहीं है और न धरती जैसी दिखती है वैसी है ठीक नहीं कह सकता कोई वह कैसा है यह कैसी है …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Bache men ke sache“ , “बच्चे मन के सच्चे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बच्चे मन के सच्चे  Bache men ke sache बच्चे मन के सच्चे सारी जग के आँख के तारे ये वो नन्हे फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे खुद …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Ek kshan ke liye“ , “एक क्षण के लिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक क्षण के लिए  Ek kshan ke liye   अपने को आप जैसा पाया मैंने आसमान तब सिर पर उठाया मैंने और दे मारा मैंने उसे ज़मीन पर हंसी …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Sunai padta he“ , “सुनाई पड़ते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुनाई पड़ते हैं  Sunai padta he   सुनाई पड़ते हैं कभी कभी उनके स्वर जो नहीं रहे दादाजी और बाई और गिरिजा और सरस और नीता और प्रायः सुनता …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Laga chunri me daag“ , “लागा चुनरी में दाग” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

लागा चुनरी में दाग  Laga chunri me daag लागा, चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे लागा, चुनरी में दाग चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे, घर जाऊँ कैसे लागा, चुनरी में …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Mujhe afsos he“ , “मुझे अफ़सोस है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मुझे अफ़सोस है  Mujhe afsos he   या कहिए मुझे वह है जिसे मैं अफ़सोस मानता रहा हूँ क्योंकि ज़्यादातर लोगों को ऐसे में नहीं होता वह जिसे मैं …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Nigahe milane ko ji chahta he“ , “निगाहें मिलाने को जी चाहता है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

निगाहें मिलाने को जी चाहता है  Nigahe milane ko ji chahta he राज़ की बात है मेहफ़िल में कहें या न कहें बस गया है कोई इस दिल में …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Tum Bhitar“ , “तुम भीतर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम भीतर  Tum Bhitar   और समेटे हों कविता नहीं बनेगी वह क्योंकि कविता तो बाहर है तुम्हारे अपने भीतर को बाहर से जोड़ोगे नहीं बाहर जिस-जिस तरफ़ जहाँ …