Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “ Goreya  “ , “गौरैया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गौरैया

Goreya 

 

नहीं दीखती

अब गौरैया

गाँव-गली-घर या शहरों में

छत-मुँडेर पर,

गाँव-खेत में

चिड़ीमार ने जाल बिछाए

पकड़-पकड़ कर,

पिंजड़ों में धर

चिड़ियाघर में उसको लाए

सुधिया कभी

दिखे ना कोई

बुत-से लगते चेहरों में

सहमी-सी

बैठी गौरैया

टूटे पर अपने सहलाए

दम घुटता है

साँसें दुखतीं

उड़ जाने की आस जगाए

गोते खाती है

छिन-पलछिन

अंदर-बाहर की लहरों में

दाना भी है,

पानी भी है

मीठे बोल, रवानी भी है

पराधीनता में

सुख कैसा?

बात सभी ने जानी भी है

राजा-रानी,

सभी यहाँ चुप

रखकर उसको पहरों में!

 

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