Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Mujhe afsos he“ , “मुझे अफ़सोस है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मुझे अफ़सोस है

 Mujhe afsos he

 

या कहिए मुझे वह है

जिसे मैं अफ़सोस मानता रहा हूँ

क्योंकि ज़्यादातर लोगों को

ऐसे में नहीं होता वह

जिसे मैं अफ़सोस मानता रहा हूँ 

मेरा मन आज शाम को

शहर के बाहर जाकर

और बैठकर किसी

निर्जन टीले पर

देर तक शाम होना

देखते रहने का था

कारण-वश  और क्या कहूँ

सभा में जाने की विवशता को

मैं शाम को

शहर के बाहर

नहीं जा पाया

न चढ़ पाया

इसलिए किसी टीले पर

देख नहीं सका

होती हुई शाम

और इसके कारण

जैसा लग रहा है मन को

उसे मैं अब तक

अफ़सोस ही कहता रहा हूँ

लोगों को

एक तो ऐसी

इच्छा ही नहीं होती

होती है तो

उसके पूरा न होने पर

उन्हें कुछ लगता नहीं है

या जो लगता है

उसे वे अफ़सोस

नहीं कहते

मैं आज विजन में

किसी टीले पर चढकर

देर तक

होती हुई शाम नहीं देख पाया

जाना पड़ा एक सभा में

इसका मुझे अफ़सोस है

या कहिए

मुझे वह है

जिसे मैं

अफ़सोस मानता रहा हूँ!

 

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