Hindi Poem of Dinesh Singh “Geet ki samvedana”,”गीत की संवेदना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गीत की संवेदना

 Geet ki samvedana

वैश्विक फलक पर

गीत की सम्वेदना है अनमनी

तुम लौट जाओ प्यार के संसार से

मायाधनी

यह प्रेम वह व्यवहार है

जो जीत माने हार को

तलवार की भी धार पर

चलना सिखा दे यार को

हो जाए पूरी चेतना

इस पंथ की अनुगामिनी

चितवन यहाँ भाषा 

रुधिर में धड़कनों के छंद है

आचार की सब संहिताएँ

मुक्ति की पाबंद है

जीवन-मरण के साथ खेले

चन्द्रमा की चाँदनी

धन-धान्य का वैभव अकिंचन

शक्ति की निस्सारता

जीवन-प्रणेता वही

जो विरहाग्नि में है जारता

इस अगम गति की चाल में

भूचाल की है रागिनी

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