Hindi Poem of Dinesh Singh “Me gane lagta”,”मैं गाने लगता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं गाने लगता

 Me gane lagta

अक्सर क्या होता मुझको

जो मन ही मन शर्माने लगता

तुम रोती, मैं गाने लगता

तुम घर मैं कितना खटती हो

कितने हिस्सों में बटती हो

कड़ी धूप-सी सबकी बातें

आर्द्र भूमि-सी तुम फटती हो

मेरा मन छल-छल कर

आँखों-आँखों से बतियाने लगता

तुम रोती मैं गाने लगता

चूल्हा-चौका रोटी-पानी

सुबह-शाम की राम-कहानी

दिन भर बच्चों की

चिकचिक से

पोछा करती हो पेशानी

दस्तरखान सजाने वाले हाथों को

सहलाने लगता

तुम रोती मैं गाने लगता

तुम पर सास-ससुर का हक़ है

यह कहने में बड़ी खनक है

चुप हूँ मैं जानते हुए भी

यह रिश्ता कितना बुढ़बक है

तदपि अजब परिवार राग

मैं बारम्बार बजाने लगता

तुम रोती मैं गाने लगता

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.