Hindi Poem of Jayshankar Prasad “Do Bunde”, “ दो बूँदें” Complete Poem for Class 10 and Class 12

दो बूँदें

Do Bunde

 

शरद का सुंदर नीलाकाश

निशा निखरी, था निर्मल हास

बह रही छाया पथ में स्वच्छ

सुधा सरिता लेती उच्छ्वास

पुलक कर लगी देखने धरा

प्रकृति भी सकी न आँखें मूंद

सु शीतलकारी शशि आया

सुधा की मनो बड़ी सी बूँद !

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