Hindi Poem of Naresh Saksena “ Rah rah kar aaj sanjh man tute”,”रह-रह कर आज साँझ मन टूटे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रह-रह कर आज साँझ मन टूटे

 Rah rah kar aaj sanjh man tute

 

रह-रह कर आज साँझ मन टूटे-

काँचों पर गिरी हुई किरणों-सा बिछला है

तनिक देर को छत पर हो आओ

चाँद तुम्हारे घर के पिछवारे निकला है ।

प्रश्नों के अन्तहीन घेरों में

बँध कर भी चुप-चुप ही रह लेना

सारे आकाश के अँधेरों को

अपनी ही पलकों पर सह लेना

आओ, उस मौन को दिशा दे दें

जो अपने होठों पर अलग-अलग पिघला है ।

अनजाने किसी गीत की लय पर

हाथ से मुंडेरों को थपकाना

मुख टिका हथेली पर अनायास

डूब रही पलकों का झपकाना

सारा का  सारा चुक जाएगा

अनदेखा करने का ऋण जितना पिछला है ।

तनिक देर को छत पर हो आओ

चाँद तुम्हारे घर के पिछवारे निकला है ।

 

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