Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Bahini ka bhag”,”बहिनी का भाग” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहिनी का भाग

 Bahini ka bhag

 

तेरी कमाई में ओ,मेरे भइया कुछ तो है बहिनी का भाग,

इक नया पैसा हजार रुपैया में,बस इतना कर दे निभाव,

भौजी को गढ़वा दे  हीरे के गहने,कांच की चुरियाँ मोय,

मइके इतना ही मान बहुत रे,तेरी तरक्की होय.

बरस में दो दिन पाऊँ वो देहरी,इतना सा मन का चाव.

ये ही बहुत रे,चिठिया पठा दे आए जो तीज-तेवहार

मइया औ बाबा किसके रहे रे,भइया से मइका हमार.

फिर तो ये मेरा, तेरा वही घर, जीवन का ये ही हिसाब.

माँ जाए भाई सा दूजा न कोई,दरपन सा निहछल भाव.

भइया की भेंटें ऐसा लगे मइया पठवा दिहिन है प्रसाद,

सुख हो या दुख,गए मौसम के, रुख पर तेरा न बदला सुभाव.

बचपन के सुख को जी लूँगी फिर से बाँधूँगी यादों की गाँठ,

संबल बनेंगी रँग से भरेंगी,जब भी जिया हो उचाट.

देखूँ तुझे सियरावे हिया, लागे बाबुल की छू ली छाँव.

 

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