Hindi Poem of Shri Krishan Tiwari “  Navgeet 6”,”नवगीत – 6” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नवगीत – 6

 Navgeet 6

 

बांस वनों से गूंज सीटियों की आयी,

सन्नाटे की झील पांव तक थर्रायी|

अनदेखे हाथों ने लाकर चिपकाये

दीवारों पर टूटे पंख तितलियों के,

लहर भिगोकर कपड़े पोंछ गयी सारे

दरवाजे पर उभरे चिन्ह उँगलियों के,

खिड़की पर बैठे -बैठे मन भर आया

द्वार बन्द कमरे में तबियत घबरायी|

शीशे के जारों में बन्द मछलियों ने

सूनी आकृतियों में रंग भरे गहरे,

शब्दों को हिलने -डुलने न कहीं देते

नये -पुराने अर्थों के दुहरे पहरे,

एक प्रश्न जो सारे बंधन खोल गया

उत्तर की सीमा उसको न बांध पायी|

कमरे के कोने में पत्र पड़े कल के

हवा उड़ा ले गयी साथ गलियारों में,

सारा का सारा घर -आंगन भींग गया

गली सड़क को धोती हुई फुहारों में,

टकराकर बंट गयी हजारों कोणों में

आदमकद दर्पण में मेरी परछाईं|

 

 

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