Hindi Poem of Uday bhan mishra “Vivash“ , “विवश” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विवश

Vivash

कविता का

कोई समय

नहीं होता

जैसे मन

या

नींद का!

धूप की

धुंधली दोस्ती

काम नहीं आती

अगर अंधेरा

अमावस का हो

और गुजरना

किसी जंगल से हो

दोस्तों की

पुरानी पहचान

जेब में पड़ी

सिकुड़ी रूमाल की तरह

पसीना पोंछने के

काम

तो आ सकती है।

मगर छतरी का

काम नहीं कर सकती

अजनबी शबर की

ठसा-ठस भरी

बस में

खड़े-खड़े सफर

करने की लाचारी

में

कोई बदलाव

नहीं कर सकती।

 

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