शिक्षाप्रद कहानियाँ, दुनियाँ बदलने के लिए खुद को बदलिये
Shikshaprad kahaniya, duniya badalne ke liye khud ko badaliye
एक बार की बात है किसी दूर राज्य में राजा शासन करता था। उसके राज्य में साडी प्रजा बहुत संपन्न थी किसी को कोई भी दुःख नहीं था। राजा के पास भी खजाने की कमी नहीं थी वह बहुत वैभवशाली जीवन जीता था।
एक बार राजा के मन में ख्याल आया कि क्यों ना अपने राज्य का निरिक्षण किया जाये, देखा जाये कि राज्य में क्या चल रहा है और लोग कैसे रह रहे हैं। तो राजा ने कुछ सोचकर निश्चय किया कि वह बिना किसी वाहन के पैदल ही भेष राज्य में घूमेगा जिससे वो लोगों की बातें सुन सके और उनके विचार जान सके । फिर अगले दिन से ही राजा भेष बदल कर अकेला ही राज्य में घूमने निकल गया उसे कहीं कोई दुखी व्यक्ति दिखाई नहीं दिया फिर धीरे धीरे उसने अपने कई किलों और भवनों का निरिक्षण भी किया।
जब राजा वापस लौटा तो वह खुश था कि उसका राज्य संपन्न है लेकिन अब उसके पैरों में बहुत दर्द था क्युकी ये पहला मौका था जब राजा इतना ज्यादा पैदल चला हो । उसने तुरंत अपने मंत्री को बुलाया और कहा – राज्य में सड़के इतने कठोर पत्थर की क्यों बनाई हुई हैं देखो मेरे पैरों में घाव हो गए हैं, मैं इसी वक्त आदेश देता हूँ कि पुरे राज्य में सड़कों पे चमड़ा बिछवा दिया जाये जिससे चलने में कोई दिक्कत नहीं होगी। मंत्री यह सुनते की सन्न रह गया, बोला – महाराज इतना सारा चमड़ा कहाँ से आएगा और इतने चमड़े के लिए ना जाने कितने जानवरों की हत्या करनी पड़ेगी और पैसा भी बहुत लगेगा। राजा को लगा कि मंत्री उसकी बात ना मान कर उसका अपमान कर रहा है, इसपर राजा ने कहा- आपको जो आदेश दिया गया उसका पालन करो देखो मेरे पैरों में पत्थर की सड़क पे चलने से कितना दर्द हो रहा है।
मंत्री बहुत बुद्धिमान था, मंत्री ने शांत स्वर में कहा – महाराज पुरे राज्य में सड़क पर चमड़ा बिछवाने से अच्छा है आप चमड़े के जूते क्यों नहीं खरीद लेते। मंत्री की बात सुनते ही राजा निशब्द सा होकर रह गया।
मित्रों इसी तरह हम रोज अपनी personal life में ना जाने कितनी परेशानियों को झेलते हैं और हम सारी परेशानियों के लिए हमेशा दूसरों को दोषी ठहराते हैं, कुछ लोगों को तो दुनिया की हर चीज़ और हर system में दोष दिखाई देता है। हम सोचते हैं कि फलां आदमी की वजह से आज मेरा वो काम बिगड़ गया या फलां व्यक्ति की वजह से मैं आज ऑफिस के लिए लेट हो गया या फलां व्यक्ति की वजह से मैं फेल हो गया, सड़क पर पड़े कूड़े को देखकर सभी लोग नाक पर रुमाल रखकर दूसरों को गलियां देते हुए निकल जाते हैं लेकिन कभी खुद सफाई के लिए आगे नहीं आ पाते वगैहरा वगैहरा। लेकिन हम कभी खुद को सुधारने की कोशिश नहीं करते, कभी खुद परिवर्तन का हिस्सा बनने की कोशिश नहीं करते। मित्रों एक एक बूंद से घड़ा भरता है और आपका प्रयास एक बूंद ही सही लेकिन वो बूंद घड़ा भरने के लिए बहुत जरुरी है। दूसरों को दोष देना छोड़िये और खुद को change करिये फिर देखिये दुनियाँ खुद change हो जाएगी